नेपाल की वर्तमान स्थिति
पिछले कुछ दिनों से नेपाल में अस्थिरता, हिंसा और तनाव का माहौल था। कई जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया था और आवश्यक सेवाओं पर भी रोक थी। इससे आम लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो गई थी। बाजार बंद थे, यातायात रुका हुआ था, और प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से कई जिलों में कड़ा प्रतिबंध लगाया था। लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है।
कई जिलों में कर्फ्यू और प्रतिबंध में ढील दी गई है। आम लोग अपने घरों से निकलकर जरूरी सामान खरीद रहे हैं। बाजार फिर से खुलने लगे हैं। स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थान भी सामान्य होने की तैयारी में हैं। प्रशासन लगातार शांति बनाए रखने के प्रयास कर रहा है ताकि जनजीवन जल्द से जल्द पटरी पर लौटे।
नेपाल सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे संयम बरतें और सुरक्षा नियमों का पालन करें। वहीं पुलिस और सेना की तैनाती भी बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
राष्ट्रपति भवन के बाहर कड़ी सुरक्षा – वीआईपी आगमन की संभावना
राजधानी काठमांडू में राष्ट्रपति भवन के बाहर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया गया है। राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया है। दोनों तरफ बैरिकेड्स लगाए जा रहे हैं और आर्मी के जवान तैनात किए गए हैं। पत्रकारों को ही सीमित प्रवेश दिया गया है जबकि आम लोगों के लिए रास्ते बंद हैं।
आर्मी चीफ ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर आवश्यक जानकारी साझा की है। उसके बाद से राष्ट्रपति भवन के आसपास हलचल बढ़ गई है। माना जा रहा है कि नेपाल की अंतरिम सरकार के मुखिया के नाम का ऐलान जल्द ही हो सकता है। इसी वजह से सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी कर दी गई है।
सड़कों पर गश्त बढ़ा दी गई है और हर कोने पर सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है। वीआईपी आगमन की संभावना को देखते हुए पूरी तैयारी की जा रही है। यह सुरक्षा अभ्यास भी हो सकता है, लेकिन इस बात की संभावना है कि किसी बड़े नेता का स्वागत किया जाएगा।
सुशीला कारकी का नाम सबसे आगे
नेपाल की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगला अंतरिम सरकार का नेता कौन बनेगा। विभिन्न नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सुशीला कारकी के नाम की हो रही है। सुशीला कारकी नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका ने महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं और उनकी साख मजबूत है।
हालाँकि संविधान के तहत मुख्य न्यायाधीश का राजनीतिक पद पर आसीन होना सामान्य रूप से संभव नहीं है। लेकिन नेपाल के संविधान में एक विशेष प्रावधान भी है, जिसे डॉक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी कहा जाता है। इसके तहत आपातकाल या विशेष परिस्थिति में राष्ट्रपति को असाधारण अधिकार दिए गए हैं। ऐसे में यदि स्थिति गंभीर मानी जाती है, तो राष्ट्रपति सुशीला कारकी को विशेष अधिकारों के तहत नियुक्त कर सकते हैं।
जन समर्थन भी सुशीला कारकी की तरफ झुकता दिख रहा है। लाइव वोटिंग में अब तक लगभग 7000 लोगों में से 3800 से ज्यादा वोट उन्हें मिले हैं। इससे स्पष्ट है कि जनता उन्हें भरोसेमंद नेता मानती है।
कुलमान घीसिंग – एक लोकप्रिय विकल्प
इसके साथ ही कुलमान घीसिंग का नाम भी चर्चा में है। वे नेपाल के बिजली बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने बिजली संकट से जूझ रहे देश में उल्लेखनीय सुधार किए थे। पहले नेपाल में कई जिलों में 18 घंटे तक बिजली कटौती होती थी। कुलमान घीसिंग ने बिजली आपूर्ति में सुधार कर 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाई।
उनके कार्यकाल में बिजली संकट खत्म हुआ और आम जनता में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। हालांकि वे अंतरिम सरकार के मुखिया के लिए सबसे आगे नहीं हैं, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है। उनके अनुभव और प्रशासनिक क्षमता के चलते उन्हें सरकार का हिस्सा बनाना नेपाल के लिए लाभकारी हो सकता है।
जन समर्थन और राजनीतिक माहौल
नेपाल में वर्तमान समय में जन समर्थन का माहौल सुशीला कारकी की तरफ झुकता हुआ दिख रहा है। जनता उन्हें न्यायप्रिय और अनुभवी नेता मानती है। वहीं कुलमान घीसिंग जैसे नेताओं की भी लोकप्रियता बढ़ रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल की वर्तमान परिस्थिति आपातकाल जैसी है। ऐसे में संविधान का विशेष प्रावधान लागू कर देश में स्थिरता लाने का प्रयास किया जा सकता है। राष्ट्रपति को दिए गए अधिकारों का उपयोग कर नेतृत्व का चयन जल्द ही हो सकता है।
सुरक्षा व्यवस्था का विस्तार
राष्ट्रपति भवन के आसपास निम्न सुरक्षा व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं:
✔ सड़कें बंद कर दी गई हैं
✔ आर्मी और पुलिस के जवान तैनात हैं
✔ बैरिकेड्स लगाए जा रहे हैं
✔ मीडिया को सीमित प्रवेश दिया गया है
✔ वीआईपी आगमन की तैयारी की जा रही है
✔ कर्फ्यू में शाम 5 बजे के बाद ढील मिलने की संभावना है
यह सुरक्षा व्यवस्था इस बात का संकेत है कि कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय लिया जा सकता है। प्रशासन किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
आगे क्या होने वाला है?
अब नेपाल में सबकी नज़रें राष्ट्रपति भवन पर टिकी हैं। जल्द ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन अगला नेता बनेगा। सुशीला कारकी का नाम सबसे आगे चल रहा है, जबकि कुलमान घीसिंग भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं।
नेपाल का संविधान विशेष परिस्थिति में राष्ट्रपति को असाधारण अधिकार देता है। इसलिए राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि सुशीला कारकी को नेतृत्व सौंपने की संभावना बढ़ गई है।
जनता शांति और स्थिरता चाहती है और नेतृत्व परिवर्तन से राजनीतिक माहौल में बदलाव आ सकता है। आने वाले कुछ घंटे या दिन तय करेंगे कि नेपाल का अगला नेतृत्व किसके हाथ में होगा।